एस.एस.एल.सी. हिंदी परीक्षा मार्च 2012
उत्तर: एक नमूना
खंड – क
1. क्रमबद्ध घटनाएँ: 2
अ) गौरा एक पुष्ट सुंदर वत्स की माता बनी।
आ) दो-तीन मास के उपरांत गौरा ने दाना-चारा खाना बहुत कम कर दिया।
इ) गौरा का मृत्यु से संघर्ष आरंभ हुआ।
2. लालूराम तेली: चरित्रगत विशेषताएँ और आधार 3
अ) आर्थिक लाभ के लिए काम करनेवाला- आर्थिक लाभ के लिए लालूराम तेली
अपना एक प्राइवेट क्लिनिक चला रहा था।
अपना एक प्राइवेट क्लिनिक चला रहा था।
आ) रोगियों को तकलीफ़ देनेवाला- क्योंकि उसने तुरत-फुरत बगैर एक्स-
रे-ब्लड टेस्ट बगैरह के झंझट किए, आपरेशन से बाबूलाल तेली की
नाक काट दी थी।
या
रे-ब्लड टेस्ट बगैरह के झंझट किए, आपरेशन से बाबूलाल तेली की
नाक काट दी थी।
या
उसने नाक काटकर बाबूलाल तेली का चेहरा कुरूप बना दिया था।
3. सही मिलान: 2
Internet : अन्तर्जाल Vaccination : टीकाकरण
Computer: संगणक Operation : शल्यक्रिया
4. दोहा - मतलब 2
आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।
तुलसी तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह।।
तुलसीदास अपने दोहे में कहते हैं कि कितने भी धनिक परिवार का घर हो,
वहाँ सोने की वर्षा हो, लेकिन बड़े प्रेम से हमें स्वीकार नहीं करते तो हमें वहाँ जाना
नहीं चाहिए। भरतीय सभ्यता में अतिथि देवो भव: (अतिथि ईश्वर है) माना जाता
है। लेकिन अपने धन के दंभ में यदि कोई हमें खुशी से स्वीकार नहीं करते तो, किसी
भी हालत में हो, हमें वहाँ जाना उचित नहीं है। वहाँ जाना हमारे स्वाभिमान को
छोड़ देने के समान होता है।
वहाँ सोने की वर्षा हो, लेकिन बड़े प्रेम से हमें स्वीकार नहीं करते तो हमें वहाँ जाना
नहीं चाहिए। भरतीय सभ्यता में अतिथि देवो भव: (अतिथि ईश्वर है) माना जाता
है। लेकिन अपने धन के दंभ में यदि कोई हमें खुशी से स्वीकार नहीं करते तो, किसी
भी हालत में हो, हमें वहाँ जाना उचित नहीं है। वहाँ जाना हमारे स्वाभिमान को
छोड़ देने के समान होता है।
5. डॉ. कुमार का भाषण – चिकित्सकों में पैदा होते मूल्य 2
यह डॉ. कुमार का भाषण नहीं है। यदि डॉ. कुमार के भाषण पर विचार करें तो:
डॉ. कुमार का भाषण मेडिकल छात्रों में अच्छे गुण भरनेलायक है। वे समझा रहे थे
कि डॉक्टरों का काम पुनीत काम है। उसमें अत्यंत सेवा भाव और निस्वार्थता की
आवश्यकता होती है। अत: उनका भाषण चिकित्सकों में उदात्त मूल्य पैदा करने
योग्य है।
कि डॉक्टरों का काम पुनीत काम है। उसमें अत्यंत सेवा भाव और निस्वार्थता की
आवश्यकता होती है। अत: उनका भाषण चिकित्सकों में उदात्त मूल्य पैदा करने
योग्य है।
6. सकुबाई के कथन पर विचार: 2
सकुबाई के इस कथन से व्यक्त होता है कि घर के मालिक और मालकिन- किशोर
कपूर और मिसेस कपूर असावधानी से दरवाज़ा बंद करके जाते हैं। जाते समय उन
लोगों ने रेडियो तक बंद नहीं किया था। घर अस्त-व्यस्त छोड़ते हैं और सारे
सामान बिखरे पड़ते हैं। उनका विचार है कि बाई रखी है, सभी काम वह करेगी।
अनपढ़ औरत सकुबाई के लिए तो रेडियो बंद करना आता भी नहीं।
कपूर और मिसेस कपूर असावधानी से दरवाज़ा बंद करके जाते हैं। जाते समय उन
लोगों ने रेडियो तक बंद नहीं किया था। घर अस्त-व्यस्त छोड़ते हैं और सारे
सामान बिखरे पड़ते हैं। उनका विचार है कि बाई रखी है, सभी काम वह करेगी।
अनपढ़ औरत सकुबाई के लिए तो रेडियो बंद करना आता भी नहीं।
7. गजाधर बाबू और पत्नी: वार्तालाप 3
पत्नी: आपके हाथ में क्या है?
गजाधर बाबू: एक पत्र।
पत्नी: क्या बात है उसमें?
ग.बा.: मैं चीनी मिल में नौकरी करने जा रहा हूँ।
पत्नी: आप मिल में नौकरी करने जा रहे हैं?
ग.बा.: मुझे लगता है कि वही अच्छा है। रिटायर होने से वेतन नहीं होगा, सिर्फ
पेंशन। वह भी रकम कम होगी।
पेंशन। वह भी रकम कम होगी।
पत्नी: तो आपने जाने का निश्चय किया है?
ग.बा.: हाँ, मैं समझता हूँ कि जाना ही अच्छा होगा। क्या तुम मेरे साथ आओगी?
पत्नी: मैं! मैं कैसे आऊँ?
ग.बा.: क्या मतलब?
पत्नी: यह घर है। घर में सयानी बेटी। ये सब कौन संभालेगा?
ग.बा.: तो तुम्हें आना मुश्किल है। ठीक है।
पत्नी: आप कब जानेवाले हैं? सारी तैयारी हो गई?
ग.बा.: नहीं। कर रहा हूँ।
पत्नी: सोई में थोड़ा काम है, मैं जाऊँ?
ग.बा.: ठीक है। तुम जाओ।
(सयानी: grown up, संभालना: to take care of)
8. गाँव की नदी - मछलियाँ मर उभर आईं - समाचार 3
रामपुरम नदी में मछलियाँ मर रही हैं
स्थान: ….... तारीख:......... रामपुरम से होकर बहनेवाली नदी में पिछले दो-तीन
दिनों से बड़ी मात्रा में मछलियाँ मर उभर आ रही हैं। इसपर विचार करते हुए प्रकृति
प्रेमी श्री रमेशन ने कहा है कि यह नदी में बढ़ते प्रदूषण का परिणाम है। नदी के किनारे
स्थित कारखानों से लगातार विषैला जल बहाया जा रहा है। बताया जाता है कि
वह इस समस्या का मुख्य कारण होता है। पर्यावरण विभाग के अधिकारी इस समस्या
पर विचार करने आज रामपुरम पहुँचनेवाले हैं।
दिनों से बड़ी मात्रा में मछलियाँ मर उभर आ रही हैं। इसपर विचार करते हुए प्रकृति
प्रेमी श्री रमेशन ने कहा है कि यह नदी में बढ़ते प्रदूषण का परिणाम है। नदी के किनारे
स्थित कारखानों से लगातार विषैला जल बहाया जा रहा है। बताया जाता है कि
वह इस समस्या का मुख्य कारण होता है। पर्यावरण विभाग के अधिकारी इस समस्या
पर विचार करने आज रामपुरम पहुँचनेवाले हैं।
9. सामाजिक असमानता - लेख 4
सामाजिक असमानता
सामाजिक असमानता
हमारे देश में आज भी सामाजिक असमानता एक भयंकर समस्या है। यह
राष्ट्रीय विकास में बड़ी बाधा बन रही है।
राष्ट्रीय विकास में बड़ी बाधा बन रही है।
हमारा देश 1947 में स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता के 64 साल बीत जाने पर भी
यहाँ गरीब लोग गरीब ही रह जाते हैं। भारत में अधिकतर लोग खेती के क्षेत्र में
काम करते हैं। लेकिन खेती में काम करनेवाले 80% से अधिक लोग अब भी
समाज में पिछड़े रहते हैं। समाज के कुछ पिछड़े, दलित-पीड़ित लोग यह तक नहीं
जानते होंगे कि वे स्वतंत्र हैं। समाज में कुछ लोग बड़े आडंबर के साथ रहते हैं।
अमीर घराने के लोग कुत्तों को पालने के लिए सुंदर कटघरा बनाते हैं और उन्हें
खिलाने के लिए महँगे माँस-मछलियाँ, दूध आदि भी निश्चित रूप से देते हैं।
अमीर घराने के कुत्तों को जो मान्यता और गणना मिलती है वह भी गरीब घरों के
बच्चों को नहीं मिलती। उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाना नहीं मिलता, खाली पेट या
आधा पेट दिन बिताना पड़ता है। कपड़ा और मकान तो दूर की बात है। हमारे देश
का साक्षरता स्तर भी बहुत निचला है। जिनके पास धन है, वे सदा खुश रहते हैं।
लेकिन सुबह से शाम तक काम करने पर ही गरीब परिवारों के लोग खाना खा
सकते हैं, वह भी भरपेट नहीं।
यहाँ गरीब लोग गरीब ही रह जाते हैं। भारत में अधिकतर लोग खेती के क्षेत्र में
काम करते हैं। लेकिन खेती में काम करनेवाले 80% से अधिक लोग अब भी
समाज में पिछड़े रहते हैं। समाज के कुछ पिछड़े, दलित-पीड़ित लोग यह तक नहीं
जानते होंगे कि वे स्वतंत्र हैं। समाज में कुछ लोग बड़े आडंबर के साथ रहते हैं।
अमीर घराने के लोग कुत्तों को पालने के लिए सुंदर कटघरा बनाते हैं और उन्हें
खिलाने के लिए महँगे माँस-मछलियाँ, दूध आदि भी निश्चित रूप से देते हैं।
अमीर घराने के कुत्तों को जो मान्यता और गणना मिलती है वह भी गरीब घरों के
बच्चों को नहीं मिलती। उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाना नहीं मिलता, खाली पेट या
आधा पेट दिन बिताना पड़ता है। कपड़ा और मकान तो दूर की बात है। हमारे देश
का साक्षरता स्तर भी बहुत निचला है। जिनके पास धन है, वे सदा खुश रहते हैं।
लेकिन सुबह से शाम तक काम करने पर ही गरीब परिवारों के लोग खाना खा
सकते हैं, वह भी भरपेट नहीं।
यह लेख पूरे भारत को मानकर लिखा गया है। केरल को मानकर नहीं।
क्योंकि केरल की हालत इसमें से बिलकुल भिन्न है।
क्योंकि केरल की हालत इसमें से बिलकुल भिन्न है।
10. उपहार के रूप में ठगी - किसान की डायरी 4
तारीख:..........आज मैंने बाज़ार से एक बोरा बीज और दो बोरे खाद खरीदे। घर
आकर देखा कि बोरों में 5-5 किलो ठगी भी है। मैं हैरान हुआ। जल्दी ही बिना
खाए-पिए सात कोस दूर बाज़ार वापस पहुँचा। प्रश्न करने पर दूकानदार ने समझाया
कि ठगी तो दी है, लेकिन मुफ्त में, बदले में कोई पैसा नहीं लिया। उपहार के रूप
में दी थी। मैं संतृप्त हुआ कि ठगी मिली है, लेकिन उपहार के रूप में। वह भी किसी
न किसी दिन काम आएगा चाहे वह ठगी ही क्यों न हो। आज की खरीदारी बड़ी
विशेष थी। (खरीदारी: Purchase)
आकर देखा कि बोरों में 5-5 किलो ठगी भी है। मैं हैरान हुआ। जल्दी ही बिना
खाए-पिए सात कोस दूर बाज़ार वापस पहुँचा। प्रश्न करने पर दूकानदार ने समझाया
कि ठगी तो दी है, लेकिन मुफ्त में, बदले में कोई पैसा नहीं लिया। उपहार के रूप
में दी थी। मैं संतृप्त हुआ कि ठगी मिली है, लेकिन उपहार के रूप में। वह भी किसी
न किसी दिन काम आएगा चाहे वह ठगी ही क्यों न हो। आज की खरीदारी बड़ी
विशेष थी। (खरीदारी: Purchase)
11. जीवनवृत्त के आधार पर डॉ. शान्ता की जीवनी 4
डॉ. वी शान्ता का जन्म 11 मार्च 1927 को तमिलनाडु राज्य के चेन्नै में हुआ।
उनके बचपन में उनके दादा सी.वी. रामन और चाचा डॉ. चन्द्रश्खरन से बहुत
प्रभावित हुई थी। मद्रास मेडिकल कॉलेज में उनकी उच्च शिक्षा हुई । 1954 में
उनको एम.डी. की उपाधि प्राप्त हुई। उन्हें अपनी मुख्य अध्यापिका से अनुशासन
की भावना मिली थी। उन्होंने मद्रास अडयार कैंसर इन्स्टिट्यूट में तीन साल
तक बिना वेतन का काम किया था। अपने सेवा काल में वे सदा भ्रष्टाचार के
विरुद्ध थीं। सेवा भावना और कर्तव्य भावना के कारण वे बहुत मशहूर बनी थीं।
उनकी विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री, मैगसेसे आदि पुरस्कार प्राप्त हुए।
खंड - ख
उनके बचपन में उनके दादा सी.वी. रामन और चाचा डॉ. चन्द्रश्खरन से बहुत
प्रभावित हुई थी। मद्रास मेडिकल कॉलेज में उनकी उच्च शिक्षा हुई । 1954 में
उनको एम.डी. की उपाधि प्राप्त हुई। उन्हें अपनी मुख्य अध्यापिका से अनुशासन
की भावना मिली थी। उन्होंने मद्रास अडयार कैंसर इन्स्टिट्यूट में तीन साल
तक बिना वेतन का काम किया था। अपने सेवा काल में वे सदा भ्रष्टाचार के
विरुद्ध थीं। सेवा भावना और कर्तव्य भावना के कारण वे बहुत मशहूर बनी थीं।
उनकी विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री, मैगसेसे आदि पुरस्कार प्राप्त हुए।
खंड - ख
12. उत्सव के मैदान में चोरी - चेतावनी देनेवाली उद्घोषणा 2
सज्जनो और देवियो, ध्यान दें!
मैदान में उत्सव के लिए आए कुछ लोगों के पैसे, बटुए, गहने आदि की
चोरी हुई है। भीड़ में कुछ गिरहकटों के होने की संभावना है। सावधान रहे! अपने
पैसे, गहने आदि सुरक्षित रखें।
चोरी हुई है। भीड़ में कुछ गिरहकटों के होने की संभावना है। सावधान रहे! अपने
पैसे, गहने आदि सुरक्षित रखें।
(बटुआ: Purse गिरहकट: Pickpocket)
(उत्तर उत्सव को एक सामाजिक उत्सव मानकर लिखा गया है। धार्मिक उत्सव
है तो संबोधन बदल सकता है।)
है तो संबोधन बदल सकता है।)
13. पेड़ लगाने का संदेश देनेवाला पोस्टर 2
पेड़ हमें
जल प्राणवायु
छाया ठंड
फल फूल
लकड़ी औषधियाँ
आदि प्रदान करते हैं।
- पेड़ मत काटें।
- अधिकाधिक पेड़ लगाएँ
- धरती को आरामदायक बनाएँ।
14. प्रस्तुत कवितांश में बचपन का चित्रण है। 1
15. बचपन में हम निश्चिंत होकर खेल और खा सकते हैं। बड़ी खुशी से घूम-
फिर भी सकते हैं। 1
फिर भी सकते हैं। 1
16. कविता का भाव 2
स्वर्गीय श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान की इस कविता में कवयित्री बचपन की
विशेषताओं के बारे में बताती है। कवयित्री कहती है कि मुझे बार-बार बचपन की
मीठी यादें आती हैं। जब तुम मुझे छोड़कर गए, तब मेरा अतुल्य आनंद भी साथ
लेकर गए। बचपन में हम निश्चिंत खा सकते हैं, खेल सकते हैं और खुशी से घूम-
फिर सकते हैं। बचपन का यह अतुल्य आनंद कैसे भूल सकूँगी?
विशेषताओं के बारे में बताती है। कवयित्री कहती है कि मुझे बार-बार बचपन की
मीठी यादें आती हैं। जब तुम मुझे छोड़कर गए, तब मेरा अतुल्य आनंद भी साथ
लेकर गए। बचपन में हम निश्चिंत खा सकते हैं, खेल सकते हैं और खुशी से घूम-
फिर सकते हैं। बचपन का यह अतुल्य आनंद कैसे भूल सकूँगी?
कवयित्री इस कविता के द्वारा साबित करती हैं कि बचपन अतुल्य आनंद
देनेवाला है। तब हम जिंदगी की कोई चिंता के बिना खुशी से घूम-फिर सकते हैं।
याने बचपन अतुल्य आनंद देनावाला है। यह एक अच्छी और सुंदर कविता है।
(साबित करना: to prove)
देनेवाला है। तब हम जिंदगी की कोई चिंता के बिना खुशी से घूम-फिर सकते हैं।
याने बचपन अतुल्य आनंद देनावाला है। यह एक अच्छी और सुंदर कविता है।
(साबित करना: to prove)
खंड ग
17. वाक्यों का संशोधन: 2
सितंबर 15 से ओणम की छुट्टी शुरू हुई। बच्चे गेंदें लेकर मैदान की ओर भागे।
('छुट्टी' शब्द स्त्रीलिंग में है। इसलिए संबंध कारक 'की' और क्रिया 'हुई' बनेगी।
'मैतान' में वर्तनी की त्रुटि है। याने उत्तर बनता है 'मैदान'। वाक्य में कर्ता 'बच्चे'
(पुल्लिंग बहुवचन) होने के कारण क्रिया होगी 'भागे'।
'मैतान' में वर्तनी की त्रुटि है। याने उत्तर बनता है 'मैदान'। वाक्य में कर्ता 'बच्चे'
(पुल्लिंग बहुवचन) होने के कारण क्रिया होगी 'भागे'।
18. वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य 2
वह छात्र राजु पाँचवें दर्जे में पढ़ता है।
वह होशियार छात्र राजु पाँचवें दर्जे में पढ़ता है।
(वह) पाँचवें दर्जे में पढ़नेवाले होशियार छात्र राजु को छात्रवृत्ति मिली।
उत्तर हो सकता है -पाँचवें दर्जे में पढ़नेवाले होशियार छात्र राजु को
छात्रवृत्ति मिली। (छात्रवृत्ति: Scholarship)
छात्रवृत्ति मिली। (छात्रवृत्ति: Scholarship)
19. योजक चुनकर उद्घोषणा के वाक्यों को मिलाना- 2
शहर में प्लास्टिक फेंकनेवालो, सावधान! नये नियम के अनुसार छह महीने तक
की कैद की सजा हो सकती है। इसलिए सड़क पर कुछ मत फेंको।
की कैद की सजा हो सकती है। इसलिए सड़क पर कुछ मत फेंको।
और फेंकनेवालो, यदि फेंकनेवालो, आदि प्रयोग अच्छा नहीं लगते।
20. विशेषण, क्रियाविशेषण से वाक्यों को जोड़कर पुनर्लेखन 2
उन्होंने एक नया घर बनवाया। इसमें वे धीरे-धीरे रहने लगे।
यहाँ 'धीरे-धीरे' क्रियाविशेषण उचित नहीं लगता। लेकिन दूसरा तो 'खुश' है। उसके
बदले में 'खुशी से' होने पर बेहतर उत्तर मिलनेवाला था। इसमें वे खुशी से रहने लगे।
बदले में 'खुशी से' होने पर बेहतर उत्तर मिलनेवाला था। इसमें वे खुशी से रहने लगे।
रवि. एम.,
सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल,
कडन्नप्पल्लि, कण्णूर, 670501.
http://chiragknr1.blogspot.com
मातमंगलम,
18-03-2012.
congrates. utter dekhkar bahut khush huva.hyma tr. ghss cheruthazham
ReplyDeleteआगे भी पोस्ट पढ़कर अपना विचार प्रकट कीजिएगा. रवि.
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