पयार का दुश्मन
वह नीली - नीली देह,
वे हरी - भरी आँखें,
पहना है ओसोण का चशमा ।
पैरों तक लटकता नदी रूपी बालर,
यह युवती है हमारी पृथ्वी,
उससे प्यार करता सूरज,
है पृथ्वी उसकी अच्छी सहेली ।
सूरज को प्यार था उसकी आँखों से,
वही आँखें जो हिरयाली से भरी थीं
चाहता था उसी आँखों को सूरज ।
बहते हैं उन आँखों से आँसू अब,
हो चुका उसका चश्मा नाकाम,
झड गये नदी रूपी बाल सारे ।
आ गया सूरज का प्यार सफल,
पर नहीं रही पृथ्वी अब तक ।
Aswin Ratheesh
+1 Science
Tagore Vidya Niketan, GHSS
Taliparamba. Kannur
वह नीली - नीली देह,
वे हरी - भरी आँखें,
पहना है ओसोण का चशमा ।
पैरों तक लटकता नदी रूपी बालर,
यह युवती है हमारी पृथ्वी,
उससे प्यार करता सूरज,
है पृथ्वी उसकी अच्छी सहेली ।
सूरज को प्यार था उसकी आँखों से,
वही आँखें जो हिरयाली से भरी थीं
चाहता था उसी आँखों को सूरज ।
बहते हैं उन आँखों से आँसू अब,
हो चुका उसका चश्मा नाकाम,
झड गये नदी रूपी बाल सारे ।
आ गया सूरज का प्यार सफल,
पर नहीं रही पृथ्वी अब तक ।
Aswin Ratheesh
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