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II Term
Exam 2012-13 Hin. IX (Code A)
Answers –
A Model
1. तालिका
की पूर्ति: 3
पाठ
|
प्रोक्ति
|
रचयिता
|
मेरा सबकुछ अप्रिय हैं उनकी नज़र में | कविता | निर्मला पुतुल |
गोदान (पाँव तले दबी गर्दन) | उपन्यास | प्रेमचंद |
सिपाही की माँ | एकांकी | मोहन राकेश |
2. घटनाओं
को क्रमबद्ध करके लिखना: 2
- हेडमास्टर ने ओमप्रकाश से पूरा स्कूल साफ करने को कहा
- ओमप्रकाश को झाड़ू लगाते देखकर पिताजी ठिठक गए।
- पिताजी ने ओमप्रकाश के हाथ से झाड़ू खींचकर दूर फेंक दिया।
- पिताजी ओमप्रकाश का हाथ पकड़कर घर चले गए।
3. होरीराम
की चरित्रगत विशेषताएँ 2
- व्यवहार कुशल
- खुशामदी करनेवाला
सही
उत्तर चुनकर लिखें। (4-7)
4. नगर
के चौक पर – एक दिन सहसा सूरज
निकला। 1
5. चौधरी
के बारे में कहा गया है कि
अपनी तिरिया के चरित्तर का
पता
नहीं
जहाज़ डूबने का पता है। 1
6. रास्ते
में पहाड़ खड़ा होने का मतलब
है- रास्ते में
बाधा पड़ना। 1
7. किसानों
के प्रति हमारा मनोभाव आदरपूर्वक
होना चाहिए क्योंकि
वे
हमारे अन्नदाता हैं। 1
8 से
10 तक के
प्रश्नों में से किन्हीं दो
के उत्तर लिखें।
8. कवि
ने अणुबम को 'मानव
का रचा हुआ सूरज' कहा
है। क्योंकि विनाशकारी
अणुबम
का निर्माण मानव ने ही किया
है। इतना ही नहीं, मानव
अपनी जाति
की
हत्या के लिए भी अणुबम का प्रयोग
करते हैं। इसलिए कवि ने
हिरोशिशिमा
के अणुबम विस्फोट के आधार पर
कहा है कि मानव का रचा
हुआ
सूरज मानव को भाप बनाकर सोख
गया। 2
9. अहिंसात्मक
तरीके में धन और विनाशकारी
शस्त्रों की कोई ज़रूरत नहीं
है।
यह
तरीका तो बिना मारे या चोट
पहुँचाए करने या मरने का तरीका
है।
इसलिए
गाँधीजी ने कहा है कि अहिंसात्मक
तरीके में पराजय नामक कोई
चीज़
है ही नहीं। 2
10. गरीब
किसान ज़मींदारों और साहूकारों
की सहायता से ही खेती करते
हैं।
इसलिए
उन्हें सदा ज़मींदारों की
अधीनता में रहना पड़ता है।
इसलिए
बताया
जाता है कि भारतीय किसान की
गर्दन ज़मींदारों के पाँव
तले
दबी
हुई है। याने पाँव तले गर्दन
दबने का मतलब है दूसरे के अधीन
रहना। 2
संशोधन
11. रास्ते
में एक दुर्घटना हुई। मैंने
घालयों को अस्पताल पहुँचाया।
लोगों ने
मेरी प्रशंसा
की। मैं अपने आप को धन्य
समझने लगा। 2
कर्ता
के पचन बदलने पर वाक्य में
परिवर्तन
12. आकाश
में उड़लेवाले पक्षी अपने
साथियों से मिल-जुलकर
रहते हैं। इसी
तरह
मनुष्य अगर मिल-जुलकर
रहेंगे तो चैन की जिंदगी
बिता पाएँगे। 2
कविता
के आधार पर उत्तर
13. किसान
भूमि के भक्त हैं। 1
14. शीर्षक:
भूमि के भक्त 1
15. कविता
का आशय- 3
इस छोटी
कविता में कवि ने किसानों के
महत्व की ओर पाठकों का ध्यान
आकर्षित किया है।
किसान
हमारे अन्नदाता हैं। क्योंकि
अगर किसान काम न करें तो हम
भूख से मर जाएँगे। क्योंकि
उनकी मेहनत का फल हम खाते हैं,
पेट भरते हैं।
किसानों
की मुख्य संपत्ति बैल, खेत
आदि हैं और उनके दिव्य अस्त्र
हल फावड़ा
आदि हैं। वे अपने
क्षेत्र में याने खेती के
क्षेत्र में बड़ा ज्ञान रखनेवाले
हैं। खेती से
संबंधित सारी
बातें वे जानते हैं। लेकिन
भोले-भाले ये
किसान औरों की नज़र में
बड़े
अजान हैं। पूरा ध्यान खेती
में लगाते समय ये किसान और
उनके परिवार
पढ़ाई के अवसर
से वंचित रहते हैं।
(फावड़ा:
മണ്വെട്ടി,
भोले-भाले:
നിഷ്കളങ്കരായ,
वंचित : ഒഴിവാക്കപ്പെട്ട)
इस कविता
में किसानों के महत्व पर बल
दिया है। सुबह से शाम तक
मेहनत
करनेवाले किसानों का महत्व
सर्वोपरि है। आज के ज़माने
में मेहनत का
काम करनेवालों
की संख्या कम हो रही है। क्योंकि
ज्यादातर लोग सफ़ेदपोश
काम
मिलना और करना चाहते हैं। ऐसे
संदर्भ में यह कविता बिलकुल
उचित
और प्रासंगिक है।
(सर्वोपरि
: सबसे उन्नत,
सफ़ेदपोश : കുലീനമായ,
white collared)
खंड
पढ़कर उत्तर लिखना-
16. ग्रीष्मकाल
में धरती का स्थलीय भाग
अधिक गर्म होता है। 1
17. हमारी
= हम+की 1
18. हमारी,
स्थलीय,
जलवाले, गर्म,
सर्द और ठंडी -
विशेषण हैं। 1
19. गर्मी
में धरती का स्थलीय भाग जलवाले
हिस्से की अपेक्षा अधिक गर्म
हो जाता है। तब पानी पर हवा का
दबाव बढ़ता है और हवाएँ जल से
थल की ओर बहने लगती हैं। इन
हवाओं में जलबाष्प का अंश भी
समाहित
रहता है। अतएव ये हवाएँ
ठंड़ी होती हैं। स्थल और सागर
के बीच का
तापांतर मनसून का
कारण बनता है। (दबाव
: സമ്മര്ദ്ദം) 2
20. शिक्षा
हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
विषय पर पोस्टर। 3
सब पढ़ें! सब बढ़ें!!
शिक्षा हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
बच्चे खेल-खेल कर बड़े हों
बच्चे पढ़-सीख कर ज्ञान पाएँ
शिक्षा हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
बच्चे खेल-खेल कर बड़े हों
बच्चे पढ़-सीख कर ज्ञान पाएँ
( जन्मसिद्ध
अधिकार : ജന്മാവകാശം)
21. भैया
के नाम मुन्नी का पत्र- 4
घर
का
नाम:...................
स्थान:........................
तारीख:.......................
प्यारे
भैया,
कैसे
हो? चिट्ठी क्यों
नहीं भेजते? हम
यहाँ ठीक हैं।
भैया,
हम तुम्हारी चिट्ठी
के लिए तरस रहे हैं। तुम्हारी
चिट्ठी मिलकर
दो महीने बीत
गए। क्या बात है? तबीयत
ठीक है न? तुम्हारे
बारे में सोचकर
माँ बहुत चिंतित
हैं। क्या तुम छुट्टी लेकर
यहाँ आ रहे हो? आज
बरमा से दो
लड़कियाँ हमारे
यहाँ आई थीं। उनकी बातें सुनकर
माँ के मन में बहुत डर बढ़ा
है। युद्ध की बातें हमारे मन
में बड़ी चिंता पैदा करती हैं।
(तरसना
: വെമ്പല് കൊള്ളുക,
चिंतित : ദുഖിത)
तुम्हारी
चिट्ठी की प्रतीक्षा करती
हुई,
तुम्हारी
बहन,
(ह)
मुन्नी।
सेवा
में
मानक.,
…..............,
…....................।
22. ओमप्रकाश
की
डायरी- 4
स्थान:...................
तारीख:.................
आज मैं
रोज़ की तरह अपने स्कूल पहुँचा।
आज हेडमास्टर ने मुझे
अपने
कमरे में बुलाकर स्कूल के
कमरे, बरामदे और
मैदान झाड़ू लगाकर
साफ करने
का आदेश दिया। मैं ने शीशम के
पेड़ की टहनियों से झाड़ू
बनाया।
कमरे साफ करते ही मैं
थक गया था। लेकिन उसके बाद
बरामदे साफ करने
पड़े। उसके
बाद लंबा-चौड़ा
मैदान!! हे भगवान!
वह मेरे लिए असह्य
था। क्या
करूँ? सबकी
निगाहें मुझपर थीं। उनके चेहरे
पर मज़ाक थी। थकावट, अपमान
और दुख से मैं बहुत शिथिल था।
घर पहुँचने पर भी थकावट बाकी
रही। ऐसा
विश्वास था कि अगले
दिन मुझे कक्षा में बैठकर
पढ़ाई का अवसर मिलेगा। आज
मुझे
जल्दी नींद आ रही है। यह दिन
मैं कभी भूल नहीं सकता।
(असह्य
: അസഹ്യമായ,
शिथिल : ദുര്ബ്ബലമായ)
23. युद्ध
रोकने की आवश्यकता पर लेख- 4
युद्ध
रोकने की आवश्यकता
युद्ध
सदा विनाशकारी होता है। युद्ध
ने हज़ारों लोगों को घायल और
अपाँग बनाये हैं। अनेकों लोगों
की हत्या के लिए कारण बना है।
(अपांग
: അംഗഹീനമായ)
संसार
आज भी युद्ध की भीषणता से मुक्त
नहीं है। युद्ध मानव पर ही
नहीं, प्रकृति
पर भी बड़ा नाश करता है। परमाणु
फैलाने में भी यह बड़ा कारण
होता है। इससे विभिन्न जीव-जंतु
और प्रकृति बुरी तरह प्रभावित
होते हैं। युद्ध के
समय अनेकों
इमारतों, बाँधों,
तेल-कूपों,
जहाज़ों विमानों
आदि का नाश करते हुए
बड़ी मात्रा
में नुकसान पहुँचाया जाता
है। युद्ध में एक सिपाही मरते
समय उसके
सगे-संबंधी
भी प्रभावित होते हैं, उसका
परिवार निराश्रय होता है।
युद्ध के अवसर
पर जनवास केन्द्रों
पर बम, मिसाइल,
तोप आदि के आक्रमण
से बेकसूर बच्चे,
बुज़ुर्ग
आदि भी बड़ी मात्रा में मारे
जाते हैं। अत: युद्ध
मानवता और ईश्वर
के प्रति
अपराध है।(भीषणता
: ഭയാനകത,
प्रभावित
: ബാധിക്കപ്പെട്ട,
तेल-कूप
: എണ്ണക്കിണര്,
बाँध :
അണക്കെട്ട്,
निराश्रय :
നിരാശ്രയരായ तोप
: പീരങ്കി)
युद्ध
को हम कभी भी सकारात्मक नहीं
मान सकते हैं। युद्ध से
विकास-
कार्यों
में खर्च करने का धन का दुर्व्यय
होता है। युद्ध रोकना अत्यंत
आवश्यक है।
(सकारात्मक
: അനുകൂലമായ,
दुर्व्यय :
പാഴ്ച്ചെലവ്)
Prepared
by: Ravi, chiragknr1.blogspot.com
it is good for valuvation
ReplyDeleteസാര്, പേപ്പര് വിലയിരുത്തുന്നതിന് മാത്രമല്ല, കുട്ടികള്ക്ക് ഉത്തരപേപ്പറിന്റെ ഒരു മാതൃകയെന്ന നിലയില് കൊടുക്കാവുന്നതാണ്. അതുപോലെത്തന്നെ ക്ലാസ്സില് പിന്നോക്കം നില്ക്കുന്ന കുട്ടികള്ക്ക് ഉത്തരത്തിന്റെ ഒരു കോപ്പി എഴുതി സമര്പ്പിക്കണമെങ്കില് ഇങ്ങനെയൊരു പ്രതി കിട്ടിയാല് വലിയ പ്രയാസമില്ലാതെ ചെയ്യാന് പറ്റും. ഇതൊരു മാതൃകമാത്രമാണ്. വേറെയും മാതൃകകളുണ്ടാവാം. ഏതായാലും സാറിന്റെ പ്രതികരണത്തിന് നന്ദി. മറ്റ് പോസ്റ്റുകളും വിലയിരുത്തിയുള്ള അഭിപ്രായപ്രകടനങ്ങള് പ്രതീക്ഷിക്കുന്നു. രവി.
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