I
Term Exam Aug 2014 IX Hin Model Answer Paper
1.
तालिका
की पूर्ति करें। 2
-
पाठप्रोक्तिरचयितापाँव तले दबी गर्दनउपन्यासप्रेमचंदखेती नहीं करनेवाला किसानकवितानिलय उपाध्यायमेमनालंबी कहानीलोकबाबुहिरोशिमाकविताअज्ञेय
2.
कोष्ठक
से घटनाएँ चुनकर सही क्रम से
खाली स्थानों की पूर्ति करें। 2
- जली हुई सिगरेट मेमना के सिर पर दबाकर बुझा दी।
- एकसाथ तीन लड़के कराहने लगे।
- पूरे डिब्बे में कुछ पलों के लिए स्तब्धता छा गयी।
- किसान बड़ी सरलता से डिब्बे से उतर आया।
3.
धनिया
की चरित्रगत विशेषताएँ चुनकर
लिखें। 2
- ज़मिन्दार से विद्रोह रखनेवाली।
- अच्छी घरवाली।
4.
टिकट लेके
डरपोक लोग यात्रा करते हैं।
तुम समझे?
यह किसान
से कहा। 1
5.
तलवे
सहलाने का तात्पर्य स्तुति
करना है। 1
6.
कर्ज़
चुकाने के लिए किसान बैल
बेचता है। 1
7.
मुसरा
किसान का अपना गाँव था। 1
8.
विज्ञान
के क्षेत्र में भारत
आजकल बहुत आगे है। इसपर सब
भारतवासी गर्व करते हैं। 2
9.
होरीराम
नामक गरीब किसान प्रेमचंद के
'गोदान'
नामक
उपन्यास का नायक है। वह मालिकों
की सहायता से खेती करनेवाला
है। अपनी आर्थिक पराधीनता के
कारण वह बीच-बीच
में मालिकों की खुशामद करने
जाता है। विद्रोह करने से
कुड़की,
बेदखली
या मृत्यु तक होने की संभावना
है। 2
10. अज्ञेय
जी ने अपनी कविता हिरोशिमा
में परमाणु बम को 'मानव
का रचा हुआ सूरज'
बताया है।
मानव से बनाया गया 'सूरज'
मानव के ही
नाश का कारण बन जाता है। इस
सूरज के कारण लाखों मानवों
की हत्या हुई। इस प्रकार मानव
के द्वारा आविष्कृत परमाणु
ऊर्जा मानव के नाश के लिए
इस्तेमाल किया जाता है। 2
11. किसानों
के लिए अपनी खेती बहुत महत्वपूर्ण
होता है। समय पर बीज लाना,
बीज डालना
आदि किसानों के लिए अनिवार्य
बातें होती हैं। अनेकों किसान
खेती अपनी जिंदगी चलाते हैं।
याने ये किसान अपनी खेती में
पूर्णत: मन
लगाकर करते हैं। 2
12. खेती
के महत्व को बढ़ाने का संदेश
देते हुए पोस्टर 2
भारत
कृषकों का देश है
कृष्क
हमारे अन्नदाता हैं
कृषक
खेती करके हमें खिलाते हैं
कम
से कम अपने खाने के लीए खेती
करने में लग जाएँ
खेती
एक संस्कृति है
खेती
को अपनाएँ
हमारे
देश के विकास-कार्य
में हाथ बँटाएँ
अ + विश्वास – अविश्वास अन् + उपस्थितत - अनुपस्थित
बे + फ़िक्र – बेफ़िक्र दुः + दशा - दुर्दशा
14. हिमालय शब्द का अर्थ है हिम का आलय। 1
15. हिमालय शब्द संज्ञा है। 1
16. विशेषण शब्दः सुंदर, प्राचीन 2
17. देश के उत्तर में स्थित हिमालय सदियों से उत्तर दिशा में से आनेवाले आक्रमणकारियों से देश की रक्षा करता रहता है। 2
18. भगवान का दूसरा रूप माँ है। 1
19. कविता का शीर्षकः माँ। 1
20. इस कविताँश में रचनाकार ने माँ के महत्व के बारे में बताया है। सभी जीव-जंतुओं के लिए अपनी माँ सबसे प्यारी होती है। 3
माँ भगवान का दूसरा रूप है। हम उनके लिए जान देने को भी तैयार होंगे। माँ हमें जन्म देती है। याने माँ नहीं तो हम नहीं। उनकी कदमों में स्वर्ग बसा है। माँ हमें संस्कार सिखाती है। वह हमें अच्छा-बुरा समझाती है। हमारी गलतियों को सुधारती है और हम पर प्यार बरसाती है।
हर जीव के लिए अपनी माँ सबसे प्यारी है। माँ का महत्व बतानेवाला यह कविताँश बिलकुल अच्छा और प्रासंगिक है।
21. रेलयात्रा की घटनाओं का वर्णन करते हुए मित्र के नाम किसान का पत्र। 4
मुसरा,
तारीखः................।
प्रिय रामलाल,
कैसे हो? घर में सब कैसे हैं? तुम्हारी खेती कैसे चल रही है? मैं यहाँ ठीक हूँ।
कल मैं अच्छे बीज की खोज में अपने मंझले भाई के पास गया था। बीज नहीं मिला, लेकिन एक मेमना मिला। वहाँ से वापस आते समय रेलगाड़ी में बुरा अनुभव हुआ। कुछ नौजवान लड़कों ने मुझे बहुत तंग किया। सात लड़के बिना टिक लिए डिब्बे में बैठकर बड़ा आतंक पैदा कर रहे थे। यात्रियों का अपमान कर हल्ला मचाना, अन्य यात्रियों को जगह न देखर पैर पसारकर बैठना आदि। विवशता से मुझे उनपर हाथ रखना पड़ा। मेरे हाथों से प्रसाद पाकर वे अच्छे लड़के बन गए।
तुम्हारी बीबी-बच्चों को मेरा हैलो बोलना।
तुम्हारा,
….........
सेवा में
रामलाल. के.,
…........................।
22. होरीराम मालिक से मिलने जा रहा है। होरी-धनिया वार्तालाप। 4
होरीरामः ज़रा मेरी लाठी दे दे।
धनियाः आप कहाँ जा रहे हैं?
होरीरामः मालिक के पास जाना है।
धनियाः जलपान करके जाइए न।
होरीरामः नहीं, देर हो जाएगी।
धनियाः वही बता रही हूँ न। वहाँ जाकर वापस आते समय देरी हो जाएगी। जलपान करके जाइए।
होरीरामः देर हो जाने पर मालिक असनान-पूजा शुरू करेंगे। फिर घंटों बैठे बिताना पड़ेगा।
धनियाः आज क्यों जाना है? परसों गए थे न?
होरीरामः इसी मिलते जुलते रहने का परसाद है यह जिंदगी। कितने लोगों पर कुड़की हुई, बेदखली हुई।
धनियाः हम उनके खेत जोतते हैं तो लगान भी देते हैं। फिर उनकी खुशामद क्यों करें, उनके तलवे क्यों सहलाएँ।
होरीरामः तू जो बात नहीं समझती उसमें टाँग क्यों अड़ाती है भई? मेरी लाठी दे और अपना काम देख।
धनियाः जाइए आप लीजिए ये पाँचों लाई हूँ- लाठी, मिरजई, पगड़ी, तमाखू का बटुआ और जूते।
23. धान की खेतीः समस्याएँ और समाधान- लेख 4
भारत एक कृषिप्रधान देश है। 80% लोग भारत में खेती में लगे हैं। किसानों को हमारे अन्नदाता मान सकते हैं।
किसान प्रायः आर्थिक कठिनाई में रहते हैं। वे अपनी जिंदगी खेती के लिए समर्पित करते हैं। लेकिन वे विभिन्न समस्याओं से जूझते हैं। खेती के लिए कर्ज लेना पड़ता है। ज़मींदारों और अन्य शोषकों के शोषण से उन्हें सुखी जीवन बिताना मुश्किल होता है। धान की खेती खर्चीली होती है। धान की खेली बड़ी व लंबी प्रक्रिया है। इसमें किसानों का बड़ा ध्यान देना पड़ता है। धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से अधिक सहायता देनी चाहिए। खेती में नई तकनीकी का प्रयोग आवश्यक होता है। ऐसा करने से किसानों की कठिनाई कम हो सकती है। नई पीढ़ी खेती में तत्पर नहीं है। इसलिए छात्रों में खेती के प्रति तत्परता बढ़ाना चाहिए।
खेती और सिकान नहीं तो अन्य सुविधाएँ होने पर भी हम जिंदगी चला नहीं सकते। इसलिए किसानों की समस्याएँ दूर करके खेती को बढ़ावा देना चाहिए। नहीं तो हमारा भविष्य बहुत कष्टपूर्ण हो जाएगा।
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