Sugama
Hindi SSLC 24-1-2015 Model Ans. Paper
1.
तालिका
की पूर्ति 2
-
पाठप्रोक्तिरचयितागौरारेखाचित्रमहादेवी वर्माप्रिय डॉक्टर्सउपन्यास-अंशपुनत्तिल कुञ्ञब्दुल्लाआदमी का बच्चाकहानीयशपालसकुबाईएकपात्रीय नाटकनादिरा ज़हीर बब्बर
2.
अंग्रेज़ी
शब्दों के स्थान पर उनका
समानार्थी हिंदी शब्द- 3
महेश
रेलवे में लिपिक है। टिकट
के आरक्षण केलिए वह अंतर्जाल
की मदद लेता है।
3.
निम्नलिखित
घटनाओं को क्रमबद्ध करके
पुनर्लेखन करें। 2
- गजाधर बाबू घर आए।
- नरेन्द्र नृत्य की नकल कर रहा था।
- बाकी सब हँसी-खुशी में लगे थे।
- पिताजी को देखते ही सब चुप रहे गए।
4.
डॉ.
शान्ता
की चरित्रगत विशेषताएं चुनकर
लिखें। 2
धम कमाने की इच्छा रखनेवाली।- जनसेवा करने में तत्पर।
- कैंसर चिकित्सा में रुचि रखनेवाली।
(5-7)
किन्हीं
दो के उत्तर लिखें- (2x2=4)
5.
आर्थिक
कठिनाई होने पर भी माँ ने अपने
बेटे (नितिन)
को पाठशाला
भेजा। उसके लिए उसने अपनी पायल
बेची थी। लेकिन पाठशाला जाने
की इच्छा प्रकट करने पर शकुंतला
को अपने चेहरे पर थप्पड़ मिला
था। शकुंतला और वासंती पाठशाला
नहीं भेजी गईं। लड़के-लड़कियों
के प्रति यह पक्षपातपूर्ण
व्यवहार कभी ठीक नहीं है। 2
6.
ग्वाले
ने अपनी स्वार्थ-पूर्ति
के लिए गौरा को गुड़ की डला
में सुई रखकर खिलायी। याने
ग्वाला पशु-पक्षियों
के प्रति निर्मम व्यवहार
करनेवाला है। उसके व्यवहार
को राक्षसीय कहना एक हद तक सही
है। 2
7.
माल बेचने
की खुशी में 'इनाम'
बताकर
दूकानदार जो चीज़ें देता है
वे वास्तव में इनाम नहीं हैं।
सामान बेचते समय इनका भी दाम
जोड़कर लेता है। अत:
यह इनाम
नहीं ठगी है। इस प्रकार की ठगी
के प्रति हमें सावधान रहना
चाहिए।
(8-11)
किन्हीं
तीन प्रश्नों के उत्तर
लिखें (3X4=12)
8.
देवदास
की डायरी:
डिसेक्शन
हॉल का अनुभव 4
तारीख:
….....................
आज
मेडिकल कॉलेज में मेरा पहला
दिन था। थोड़ी-सी
घबराहट के साथ मैं कॉलेज गया।
पहले एक ट्यूटर ने हाजिरी ली।
फिर डॉ.
कुमार
का भाषण। बड़ा ज़ोरदार,
उपदेशात्मक
भाषण। फिर डिसेक्शन हॉल में
प्रवेश करते ही नथुनों में
तेज़ बदबू घुसी। फार्मलिन की
गंध। डिसेक्शन हॉल में स्टील
की नौ मेज़ें थीं। एक-एक
मेज़ पर एक-एक
लाश। एक ओर एक कद्दावर टंकी
जिसमें लाशें तैरती रहती थीं..
मौत का
कुआँ जैसा लगा। फिर डॉक्टर
कुमार ने आकर भाषण दिया।
उन्होंने लाशों के साथ आदर
के साथ व्यवहार करने का उपदेश
दिया। मैंने मन ही मन उस लाश
की पूजा की। आठ छात्रों के लिए
एक लाश थी। दो छात्रों को एक
हाथ। मेरी सहयोगी थी लक्ष्मी,
हमें एक
हाथ मिला। लेकिन लक्ष्मी एक
लड़की सहयोगी चाहती थी। आज
का दिन अच्छा दिन था।
9.
कुतिया
ने पिल्लों को जन्म दिया।
सहेली सुरभि के नाम डौली का
पत्र। 4
घर
का नाम:
….................,
स्थान:
….................।
तारीख:
….................
प्रिय
सुरभि,
तुम
कैसी हो?
तुम्हारी
पढ़ाई कैसी है?
घर में
सब कैसे हैं?
मैं यहाँ
ठीक हूँ।
सुरभि,
मेरी
कुतिया ने पाँच पिल्लों को
जन्म दिया है। बहुत सुंदर,
प्यारे
चूहे जैसे पिल्लों के साथ मैं
आजकल बहुत खेलती हूँ। वे कभी-कभी
चेऊँ-चेऊँ
करते हैं। मेरे मामा-पापा
को मेरा उनके साथ खेलना पसंद
नहीं है। लेकिन मुझे उनके साथ
खेलते बड़ा मज़ा आता है। अगले
रविवार को तुम भी मेरे घर आओ,
हम मिलकर
पिल्लों के साथ खेलेंगे।
तुम्हारे
माँ-बाप
को मेरा प्रणाम।
तुम्हारी
सहेली,
(हस्ताक्षर)
डौली।
सेवा
में
सुरभि.
के.,
…...............,
….................।
10.
बिजली
का झटका:
जंगली
हाथी की मृत्यु हुई -
समाचार। 4
बिजली
का झटका:
जंगली
हाथी की मृत्यु हुई
स्थान:
…..... तारीख:
…........ तोरपा
जंगल के बीच की सड़क पर गिरे
हुए तारों से झटका लगकर जंगली
हाथी की मृत्यु हुई। मानव जंगल
काटने से हाथी बेघर हो रहे
हैं। खाने की कमी से वे गाँवों
में उतरने लगे हैं। हाल ही में
एक हाथी ने तोरपा ब्लॉक में
कई घरों और इनसानों को रौंद
डाला था। इससे नाराज़ गाँववालों
ने हाथी की लाश पर हमला किया।
लाठी,
चाकू आदि
से लोग हाथी की लाश पर अपना
गुस्सा उतार रहे थे। पुलिसवाले
भी हाथी-दाँत
निकालकर गाँववालों के साथ
थे।
11.
अध्यापक
दिवस के सिलसिले में गुरुपूजा
कार्यक्रम:
पोस्टर 4
हिंदी
सेवा समिति,
कण्णूर
अध्यापक
दिवस के सिलसिले में
गुरुपूजा
का
आयोजन करता है
05-09-2014
सुबह 9.30
बजे।
समिति
के ऑडिटोरियम में
कार्यक्रम
में बुज़ुर्ग अध्यापकों का
आदर किया जाता है।
मुख्यातिथि:
श्री.
पी.
बालकिरण,
आई.ए.एस.
जिलाधीश,
कण्णूर
सबका
स्वागत है।
(12-14)
कवितांश
के आधार पर उत्तर-
12.
कवयित्री
कहती हैं कि वे
रोना नहीं
जानती हैं। 1
13.
शीर्षक:
हँसी,
मैंने
हँसना सीखा है,
…. 1
14.
कवितांश
का आशयः 3
मशहूर
कवयित्री श्रीमती सुभद्राकुमारी
चौहान के इस कवितांश में
कवयित्री जिंदी के संबंध में
अपना विचार व्यक्त करती हैं।
कवयित्री
कहती हैं कि मैंने हँसना सीखा
है, मैं
नहीं जानती रोना;
मेरे जीवन
में पल-पल
पर सोना बरसा करता है। मैंने
अभी तक जान नहीं पाई कि पीड़ा
कैसी होती है। कवयित्री यहाँ
अपनी ज़िन्दगी को खुशी के साथ
स्वीकार करने का उपदेश देती
है।
हमारी
जिन्दगी सुख-दुख
से मिली हुई होती है। सुख के
बाद दुख और दुख के बाद सुख का
क्रम होता है। हमेशा खुशी ही
मिलने की आशा करना व्यर्थ है।
हमें खुशी के साथ जिंदगी को
स्वीकार करना चाहिए। यह कवितांश
बिलकुल अच्छा और प्रासंगिक
है।
15.
संशोधन 2
एक
छोटी-सी
नदी। नाम था मनोरमा। गरमी
आयी। नदी सूख गई।
16.उचित
विशेषणों से रिक्त स्थानों
की पूर्ति। 2
नीला
आकाश। उसमें अनेक पक्षी
उड़ रहे थे। पक्षी रंग-बिरंगे
थे। कितना सुंदर दृश्य था
वह!
17.उचित
योजकों से वाक्यों को
मिलाना। 1
पानी बरस रहा
है इसलिए छतरी ले लो।
18-21
गद्यांश
के आधार पर उत्तर।
18.
'सुंदर
घोंसला'
में 'सुंदर'
शब्द
विशेषण है। 1
19.
'उसका'
में
प्रयुक्त सर्वनाम वह
है। 1
20.
चिड़िया
कटहल के पेड़ पर रहती थी। 1
21.
मोर बहुत
थका हुआ था। वह विश्राम करने
के लिए कटहल के पेड़ पर बैठा। 2
Ravi.
M., GHSS, Kadannappally, Kannur
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