I Term Exam Aug 2014
VIII Hin Model Answer Paper
1. तालिका
की पूर्ति करें। 3
पाठ
|
प्रोक्ति
|
रचयिता
|
जैनी
|
कहानी
|
विक्टर
ह्यूगो
|
जाल,
जहाज़ और मछुआरे
|
यात्राविवरण
|
मधु कांकरिया
|
तोड़ती
पत्थर
|
कविता
|
सूर्यकान्त
त्रिपाठी निराला
|
2. घटनाओं
को क्रमबद्ध करके लिखें। 4
सोनाखाली
से यात्रा शुरू हुई।
एक
महिला एक छोटे तिकोने नीले
जाल को खींच रही थी।
मछुआरिन
आँखों से ओझल हो गयी।
नौ-दस
वर्ष के नन्हे मछुआरे को देखकर
मन आशंकित हुआ।
3. जैनी
की चरित्रगत विशेषताएँ। 2
उचित
उत्तर चुनकर लिखें। (4-7)
4. तूफानी
हवा की तुलना लुहार की धौंकनी
से की है। 1
5. निराला जी ने
पत्थर तोड़नेवाली औरत को
इलाहाबाद के पथ पर देखा। 1
6. जैनी का पति
मछुआरा है। 1
7. घर की खिड़की
से देखने पर मधु कांकरिया को
आसमान टुकड़ा-टुकड़ा
लगा। 1
किन्हीं
दो प्रश्नों के उत्तर लिखें।
(8-10) (2x3=6)
8. फटे
हुए जाल मछुआरों के जीवन का
प्रतीक है। मछुआरे गरीबी के
शिकार हैं। आर्थिक कठिनाई-
पैसे की कमी से
वे नए जाल खरीद नहीं सकते।
इसलिए वे फटे हुए जाल का इस्तेमाल
करते हैं। गरीबी से मुक्त
होकर नए जाल खरीदना उनके लिए
बहुत कठिन है। याने फटे हुए
जाल गरीब मछुआरों के जीवन का
प्रतीक है। 3
9. मधु
कांकरिया ने जहाज़ यात्रा के
अनुभव के आधार पर जहाज़ की
विशेषताएँ लिखी हैं। लेखिका
कहती है कि एक झलक में जहाज़,
ट्राम ट्रेन की
बॉगी जैसा था,
वैसा ही साफ़-सुथरा
और भव्य। ट्राम ट्रेन से अधिक
चौड़ा, खूबसूरत
और आरामदायक। जहाज़ की छत पर
से खुले आसमान का दर्शन भी
बड़ा आनंदपूर्ण होता है।
क्षितिज से क्षितिज तक बिना
बाधा से आकाश का दर्शन जहाज़
की छत पर से संभव होता है। 3
10. गरीब
मज़दूरिन रोज़ सुबह से शाम
तक कड़ी मेहनत करती है। मज़दूरिन
जहाँ बैठकर काम करती थी वहाँ
कोई छायादार पेड़ नहीं था।
कड़ी धूप में गर्मी के दिन में
धरती रुई के समान 'जल'
रही थी। दोपहर
का समय और लू का बहना वातावरण
को और भी कठिन बनाता है। इसी
समय अमीर लोग बड़ी अट्टालिकाओं
में आराम से रहते हैं। 3
11. संशोधन
करें। 2
जैनी
के नन्हे बच्चे गरमी और
सर्दी में नंगे पाँव घूमते
थे। उन्हें केवल बाजरे की
रोटी मिलती थी।
12. 'गुरु
हथौड़ा' वाक्यांश
में 'गुरु'
शब्द विशेषण
है। 1
13. वाक्य
को क्रमानुसार लिखें। 2
जैनी
का पति /बचपन
से ही /मछली
पकड़ने का /काम
करता था।
कवितांश
पढ़कर प्रश्नों के (14-16)
उत्तर लिखें।
14. सूरज
की किरणों के आने पर अंधकर सब
खो जाता है। 1
15. शीर्षकः
'प्रभात' 1
16. कवितांश
का आशय। 4
इस
छोटे-से
कवितांश में रचयिता प्रभात
की सुंदरता का वर्णन करते हैं।
जब
प्रभात में सूरज की किरणें
आती हैं तब सारी कलियाँ खिल
जाती हैं और सुंदर-सुंदर
फूल मुस्कुराने लगते हैं।
इसके साथ ही सारा अंधकार सब
खो जाता है और सारा जगत सुंदर
हो जाता है। चिड़ियों के
मिल-जुलकर
गाने के मीठे स्वर सब कहीं
बहने लगते हैं। ठंडी हवा अपनी
मस्तानी चाल में बहती है।
प्रभात
का दृश्य सबको मोहित करनेवाला
होता है। प्रभात की सुंदरता
का वर्णन करनेवाली यह कविता
बिलकुल अच्छी और प्रासंगिक
है।
गद्यांश
पढ़कर उत्तर लिखें। (17-19)
17. बालश्रम
का मुख्य कारण गरीबी
है। 1
18. 'इसको'
में प्रयुक्त
सर्वनाम 'यह'
है। (यह
+ को
= इसको,
इसे) 1
19. ദാരിദ്യം
ബാലവേലയുടെ മുഖ്യകാരണമാണ്.
ജീവിക്കാനായി
തൊഴിലെടുക്കുന്ന 14ല്
താഴെ വയസ്സുള്ള കുട്ടികളെ
കുട്ടിത്തൊഴിലാളികള് എന്ന്
വിളിക്കപ്പെടുന്നു. 4
20. स्कूल
में चेम्मीन सिनेमा का प्रदर्शनः
पोस्टर। 4
सरकारी
हायर सेकंडरी स्कूल कडन्नप्पल्लि
अर्पण
हिंदी मंच की ओर से
अगस्त
8, 2014को
अपराह्न 2 बजे
स्कूल
ऑडिटोरियम में
मछुआरों
के संघर्ष भरे जीवन की झलक
देनावाली
मशहूर
मलयालम फिल्म
चेम्मीन
का
प्रदर्शन किया जा रहा है।
प्रधानाध्यापिका सचिव,
हिंदी मंच
किन्हीं
दो के उत्तर लिखें। (21-23)
(2x5=10)
21. पथ
पर पत्थर तोड़नेवाली युवती
का दर्शन- कवि
की डायरी। 5
तारीखः..................
आज
कवि सम्मेलन में भाग लेने के
लिए इलाहाबाद गया। सड़क के
किनारे एक मज़दूरिन को देखा।
गरीब मज़दूरिन कड़ी धूप में
काम कर रही थी। भारी हथौड़ा
उठाकर पत्थर मार-मारकर
तोड़ना कितनी कड़ी मेहनत है!
वह गरीब मज़दूरिन
अमीर दलालों के शोषण का प्रतीक
है। गरमी के दिनों में कड़ी
धूप में काम करने से मज़दूरिन
का शरीर काले रंग का हो गया
था। उस गरीब मज़दूरिन को अपनी
गरीबी से बचने के लिए कितनी
मेहनत करनी पड़ती है!
उसके चेहरे का
भाव बता रही थी कि वह अंदर ही
अंदर रो रही है।
22.
जहाज़-यात्रा
के बीच - मधु
कांकरिया-सहयात्री
वार्तालाप। 5
मधु
कांकरियाः देखिए न जी,
एक छोटा लड़का...
मछली पकड़ रहा
है।
सहयात्रीः
सही बात है। नन्हा मछुआरा है।
मधु
कांकरियाः इतनी छोटी आयु में
इतना कठिन काम कैसे करता है?
सहयात्रीः
विवशता से होगी। गरीब परिवार
का बच्चा हो सकता है।
मधु
कांकरियाः क्या वह बच्चा स्कूल
जाता होगा?
सहयात्रीः
पता नहीं।
मधु
कांकरियाः छोटी आयु में ही,
नन्हे-नन्हे
हाथों में इतना बड़ा जाल!
सहयात्रीः
वह बच्चा हाँफते-फूलते
जाल खींच रहा है।
मधु
कांकरियाः बिलकुल सही है। हे
भगवान! नीचे
गिरकर वह लहरों में बह जाए तो?
सहयात्रीः
वह भी सही है। इतने छोटे बच्चों
को यह खेलने का समय है न?
मधु
कांकरियाः बेचारे बच्चे। इन
बच्चों को भी खेलने और पढ़ने
का पर्याप्त अवसर मिले।
23. मछुआरों
की कठिनाइयाँ-
विचार। 5
अधिकतर
मछुआरे गरीबी के शिकार हैं।
उन्हें जीवन में सुविधाएँ कम
मिलती हैं। रहने के लिए अच्छे
घर नहीं। परिवार को अच्छा खाना
खिला नहीं सकते। इनका अधिकतर
समय समुद्र में ही बीतता है।
मछली पकड़ने के लिए इनके पास
अच्छी नाव और अच्छे जाल नहीं
होते। मछलियाँ मिलने पर भी
उसका लाभ दलालों को मिलता है।
समुद्र में उन्हें विषम
परिस्थितियों का सामना करना
पड़ता है। याने मछुआरों का
जीवन प्रायः संघर्षपूर्ण
होता है। उनके परिवार की आर्थिक
कठिनाई उनके बच्चों को भी
बालश्रम के लिए विवश बना देती
है। इससे इनके बच्चे भी पढ़ाई
से वंचित रहते हैं।
Prepared
by: Ravi. M., GHSS, Kadannappally, Kannur. 9446427497