29 Dec 2012

127. पाठ-प्रोक्ति-रचयिता X


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पाठ-प्रोक्ति-रचयिता



पाठ
प्रोक्ति
रचयिता
नदी और साबुन
कविता
ज्ञानेन्द्रपति
गौरा
रेखाचित्र
महादेवी वर्मा
हाथी के साथी
घटना
मिलानी
बाबूलाल तेली की नाक
कहानी
स्वयंप्रकाश
प्रिय डॉक्टर्स
उपन्यास का अंश
पुनत्तिल कुञ्ञब्दुल्ला
महत् उद्देश्य की प्रतिमा
साक्षात्कार
आशा कृष्णकुमार
मनुष्यता
कविता
मैथिलीशरण गुप्त
वह तो अच्छा हुआ
कविता
भगवत रावत
आदमी का बच्चा
कहानी
यशपाल
सकुबाई
एकपात्र नाटक
नादिरा ज़हीर बब्बर
मुफ़्त में ठगी
कविता
रामकुमार आत्रेय
भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य संबंध
लेख
आनंद शंकर माधवन
वापसी
कहानी
उषा प्रियंवदा

2 comments:

  1. मुख्यपात्र भी जोडें तो अच्छा होगा।

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  2. सोमराजन जी, वह तो भूल गया था। क्योंकि यही प्रारूप मेरे में रूढ़ हो गया था। रवि

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