15 Dec 2017

Model Answer Paper - X Hindi - Dec. 2017


X Hin II Term Exam. Dec. 2017 – Model Answer Paper

1. सही प्रस्ताव – () चार्ली का शो देखकर दर्शकों ने माँ से उसकी प्रशंसा की। 1
2. वाक्य की पूर्ति - माँ स्टेज पर आख़िरी बार आयी 1
(माँ को आदरवाचक मानकर आयीं लिखनेवाले बच्चे भी हो सकते हैं।)
3. बेटे का शो देखकर चार्ली की माँ बहुत खुश हो गई – माँ की डायरी 4
तारीखः...............
आज मैं मंच पर गीत गाते समय मेरी आवाज़ फटकर फुसफुसाहट में बदल गई। थोटी देर में दर्शक हल्ला मचाने लगे। विवश होकर मैनेजर ने मेरे पाँच साल के छोटे बेटे को स्टेज पर भेजा। मैं बहुत डरती थी। लेकिन बेटा चार्ली ने थोड़ी देर में दर्शकों को खुश करने लगा। उसने गीत गाकर, अभिनय करके और गायकों की नकल उतारकर सबको खुश करने लगा। उसने मेरी फटी आवाज़ की भी नकल उतारी थी। लोगों ने मंच पर पैसे बरसाये। इस प्रकार मेरी आवाज़ फटने पर शोर मचानेवाले लोगों को मेरा छोटा बच्चा अपने नियंत्रण मे लाया। मेरी हालत पर मैं बहुत दुख और अपमान का अनुभव कर रही थी। लेकिन मेरे बेटे ने स्टेज सँभाला। यह मेरा आखिरी कार्यक्रम है। आज का दिन मुझे दुख और सुख का था।

कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त
4. ये पंक्तियाँ अकाल की ओर इशारा करती हैं। 1
5. चूहों की भी हालत रही शिकस्त – पंक्ति का मतलब है- अकाल का प्रभाव घर में रहनेवाले मानवों पर ही नहीं पड़ते वल्कि उस घर में रहनेवाले छोटे जीव-जंतुओं पर तक उसका प्रभाव पड़ता है। क्योंकि घर में खाना नहीं बनता तो छोटे-छोटे जीवों को भी खाना मिलने में कठिनाई होती है।
6.अकाल से उत्पन्न परेशानियों पर टिप्पणी 3
हिंदी के मशहूर कवि बाबा नागार्जुन अपनी कविता अकाल और उसके बाद के द्वारा अकाल से पीड़ित और अकाल से मुक्त हुए घर का बारीक वर्णन करते हैं।
कवि कहते हैं कि घर में कई दिनों तक चूल्हा रो रहा है और चक्की उदास रहती है क्योंकि घर में अनाज के दाने नहीं तो इनका कोई काम नहीं है। घर में खाना बनने पर ही उसका छोटा हिस्सा घर की कानी कुतिया को भी मिलता है। कई दिनों की भूख से वह सोई पड़ी है। इसी प्रकार घर में रहनेवाले छिपकलियाँ, चूहे आदि सभी जीवों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। याने घर की गरीबी और अकाल से मानवों के साथ वहाँ रहनेवाले सभी जीव परेशान हैं।
कवि ने इस कविता के द्वारा अकाल की हालत का वर्णन अच्छी तरह से किया है। उसमें उन्होंने छोटे-छोटे जीवों तक को नहीं छोड़ा। अकाल आज भी भयंकर होता है। उसके असर से सारा समाज पीड़ित होता है। समाज के सभी कार्यकलापों में उसका परावर्तन होता है। अकाल की भीषणता की ओर सबका ध्यान आकर्षित करनेवाली यह कविता बिलकुल अच्छी और प्रासंगिक है। (परावर्तन - പ്രതിഫലനം)
7. "ठाकुर लाठी मारेंगे। साहूजी एक के पाँच लेंगे। गरीबों का दर्द कौन समझता है! हम तो मर भी जाते हैं, तो कोई दुआर‌ पर झाँकने नहीं आता।"
यह जोखू ने गंगी से कहा। 1
8. जोखू ज़मीन पर लेटा। जोखू को ज़मीन पर लेटना पड़ा 1
9. जोखू के चरित्र की विशेषताएँ - लघु लेख
मुंशी प्रेमचंद की मशहूर कहानी ठाकुर का कुआँ का नायक है जोखू। जोखू निम्न जाति का है। वह बीमार है। अपनी पत्नी से पानी माँगकर पीते समय पता चला कि पानी बदबूदार है। इसलिए वह पानी पी नहीं सकता। इस समस्या से परेशान होकर गंगी कहती है कि मैं ठाकुर के कुएँ से पानी लाऊँगी। लेकिन तब जोखू कहता है कि हाथ-पाँव तुड़वा आएगी, बैठ चुपके से। क्योंकि वह जानता है कि ठाकुर, साहू, ब्राह्मण- ये तीनों लोग, उच्च जाति के हैं। वे लोग निम्न जाति के लोगों पर विभिन्न अत्याचार करते हैं। उनके कुएँ से गरीब, निम्न जाति के लोगों को पानी लेने की अनुमति नहीं है। वे लोग निम्न जाति के लोग मरने पर भी उनके द्वार पर झाँकने नहीं आते। याने जोखू जानता है कि उच्च जाति के लोग निम्न जाते के लोगों पर कभी भी दया नहीं करते, बल्कि अत्याचार ही करते हैं। जोखू अपनी पत्नी को कुछ भी खतरा होना नहीं चाहता। इसलिए वह गंगी को ठाकुर के कुएँ से पानी लाने जाने नहीं देता। वह ठाकुर जैसे लोगों के विरुद्ध कुछ करना नहीं चाहता, क्योंकि वह जानता है कि ऐसा करने पर यहाँ जीना भी मुश्किल हो जाएगा।
पाँचवीं कक्षा का रिज़ल्ट आ गया। दोनों छठी में आ गए। यह स्कूल पाँचवीं तक ही था।
"साहिल अब तुम कहाँ पढ़ोगे"? बेला ने पूछा।
"और तुम कहाँ पढ़ेगी बेला?" साहिल ने पूछा
10. सही प्रस्तावः () बेला और साहिल रिज़ल्ट जानने के लिए स्कूल आए थे। 1
11. तुम कहाँ पढ़ोगे? -हम कहाँ पढ़ेंगे? 1
12. पटकथा का एक दृश्यः 4
(फुलेरा कस्बे की बादल छाई एक गली। स्कूली यूनिफार्म में पाँचवीं में पढ़नेवाले दो बच्चे- एक लड़का और एक लड़की। दोनों के चेहरे पर उदासी है। समय 11 पूर्वाह्न बजे)
बेलाः साहिल अब तुम कहाँ पढ़ोगे?
साहिलः और तुम कहाँ पढ़ोगी बेला?
बेलाः मेरे पापा कह रहे थे कि तुम्हें राजकीय कन्या पाठशाल में पढ़ाएँगे और तुम?
साहिलः मुझे अगले साल अजमेर भेज देंगे। वहाँ एक हॉस्टल है, घर से दूर वहाँ अकेला रहूँगा।
बेलाः क्यों साहिल?
साहिलः पता नहीं क्यों।
बेलाः यानी कि अब तुम फुलेरा में ही नहीं रहोगे?
साहिलः नहीं। तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड दिखाना।
(दोनों एक दूसरे का रिपोर्ट कार्ड देखते हैं।)
12. रिज़ल्ट के दिन साहिल दुखी होकर घर पहुँचा। साहिल और माँ के बीच का वार्तालाप। 4
माँः क्या हुआ बेटे? बहुत परेशान दिखते हो!
साहिलः बेला आगे मेरे साथ नहीं पढ़ेगी न?
माँः क्यों बेटा? क्या हुआ?
साहिलः आज हमारा रिज़ल्ट आया। अगले साल हम दोनों अलग-अलग स्कूलों में पढ़नेवाले हैं न?
माँः वह तो मैं भूल गयी बेटा। सही बात है। अगले साल बेला कहाँ पढ़ेगी?
साहिलः अगले साल वह राजकीय कन्या पाठशाला में पढ़ेगी। आप जानती हैं न कि अगले साल मैं अजमेर में
हॉस्टल में रहकर पढ़नेवाला हूँ।
माँः हाँ बेटा, मैं जानती हूँ। तुम्हारे पिताजी ने कहा था।
साहिलः पाँच साल हम एकसाथ पढ़ रहे थे। अगले साल हम दोनों अलग-अलग स्कूलों में होंगे।
माँः क्या करें बेटा, अगले साल तुम्हें नए मित्र मिलेंगे। तब इस दुख से मुक्त हो जाओगे।
साहिलः ठीक है माँ।
सावन नाम का एक लड़का था। वह बहुत गरीब था। मेले में जाने के लिए उसने अपनी माँ से रुपया माँगा। माँ ने एक रुपया दिया। वह मेले में गया। वहाँ एक दुकान पर गया। उसने एक लड़की को देखा वह रो रही थी। लड़की का रुपया गुम गया था। सावन ने उसे अपना रुपया दे दिया।
13. कहानी शीर्षक – दयालू सावन। 1
14. कहानी के आधार पर सही मिलान। 4
कहानी का पात्र सावन
गरीब लड़का था।
मेले में जाने के लिए
सावन ने माँ से रुपया माँगा।
रुपया गुम जाने के कारण
लड़की रो रही थी
रोनेवाली लड़की को
सावन ने रुपया दिया
इतिहासों की सामूहिक गति
सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे पहियों का आश्रय ले
15. यह आशयवाली पंक्तिः सत्य का पक्ष टूटे हुए पहियों का सहारा ले सकता है 1
सच्चाई टूटे पहियों का आश्लय ले
18. अचानक शब्द का समानार्थी शब्दः सहसा 1
फूलदेई त्यौहार के आयोजन में बड़ों की भूमिका केवल सलाह देने तक सीमित होती है। बाकी सारे काम बच्चे करते हैं। उत्तराखंड के हिमालयी अंचल में फूलदेई से बड़ा बच्चों का कोई दूसरा त्यौहार नहीं है।
17. फूलदेई त्यौहार में बड़ों की भूमिकाः सलाहकार की है।
18. बच्चे के बदले बच्चा का प्रयोग करके पुनर्लेखनः 1
सारे काम बच्चे करते हैं - सारे काम बच्चा करता है।
19. पूलदेई त्यौहार - समाचार
फूलदेई का जश्न मनाया गया।
स्थानः देहरादून तारीखः.......... फूलदेई का त्यौहार मनाया गया। पिछले 21 दिनों में उत्तराखंड में विशेषतः हिमालयी अंचल में लोग फूलदेई का त्यौहार मना रहे थे। यह त्यौहार पूर्णतः बच्चों के द्वारा मनाया गया। बड़ों की भूमिका सिर्फ सलाह देना मात्र रहा। बच्चों ने रोज़ देर शाम तक रिंगाल से बनी टोकरियों में फूल चुने और गागरों में पानी भरकर उसके ऊपर रखे। रोज़ सुबह गाँव भर बच्चों की टोलियाँ घूमीं। पिछली शाम चुने हुए फूल घरों की देहरियों पर सजाए गए। जिनके घरों में फूल सजाए गए उन्होंने बच्चों को चावल, गुड़, दाल आदि दिए। दक्षिणा में मिली यह सामग्री पूरे इक्कीस दिन तक इकट्ठी की गई। फूलदेई की विदाई के साथ यह उत्सव कल समाप्त हुआ। अंतिम दिन कल इकट्ठी की गई सामग्रियों से सामूहिक भोज बनाया गया। त्यौहार के दिनों में लोकगीतों की प्रस्तुति हुई थीं। नाटक प्रतियोगिता, गरीब लोगों के लिए कपड़ा वितरण आदि विभिन्न कार्यक्रम इसके साथ चलाए गए।
19. फूलदेई त्यौहार – पोस्टर
सामूहिक फूलदेई त्यौहार
3 अप्रैल 2017, सोमवार
आज़ाद मैदान, देहरादून
रंग-बिरंगे फूलों से रंगोली, सजावट
लोकगीत प्रस्तुति
नाटक प्रतियोगिता
सामूहिक भोज
गरीब लोगों के लिए कपड़ा वितरण
भाग लें, सफल बनाएँ
मित्र मंडल सांस्कृतिक समिति
उस दिन हम हिंदुस्तान की आख़िरी सीमा (बॉर्डर) देखने गए। बॉर्डर जैसलमेर से कोई 100-130 किलोमीटर दूर है।
20. जैसलमेर यात्रावृत्त का लेखक मिहिर है। 1
21. वाक्य पिरमिड 2
उस दिन सीमा देखने गए।
उस दिन हम सीमा देखने गए।
उस दिन हम हिंदुस्तान की सीमा देखने गए।
उस दिन हम हिंदुस्तान की आखिरी सीमा देखने गए।

रवि. एम., सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल कडन्नप्पल्लि, कण्णूर।



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