11 Dec 2011

राष्ट्रभाषा और राजभाषा
प्यारे मित्रो,
हिंदी दिवस के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ। हम हिंदी अध्यापकों के बीच में भी राष्ट्रभाषा और राजभाषा संबंधी असमंजस दिखाई पड़ता है। इसलिए मैं यह पत्र आपके नाम भेज रहा हूँ। क्योंकि हिंदी अध्यापकों में बहुमत ऐसा विश्वास करते हैं कि हिंदी भारत की एकमात्र राष्ट्रभाषा है। लेकिन यह एक गलत धारणा है। क्योंकि हिंदी के संबंध में हमारे संविधान में ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया गया है। संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई हैं। पहले यह 15 भाषाएँ थीं, फिर 3 और भाषाएँ जोड़कर 18, अंत में 4 और भाषाएँ जोड़कर अब 22 भाषाएँ हैं। इन सभी भाषाओं को राष्ट्रभाषाएँ मान सकते हैं। अर्थात् संविधान के द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं। ऐसा है तो हमारी हिंदी भाषा का महत्व क्या है? हम इस पर विचार करें। हिंदी हमारे संघ की राजभाषा है। देवनागरी लिपि में लिखी जानेवाली हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा की मान्यता 1949 में सितंबर 14 को भारतीय संसद के द्वारा दी गई थी। वही इस भाषा का महत्व है। इसलिए 'हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है', 'एकमात्र राष्ट्रभाषा है' आदि बताने से भी अधिक उसकी राजभाषा के रूप में मान्यता ही महत्वपूर्ण है। मेरा विश्वास है कि यह 'राष्ट्रभाषा' एक कल्पना है। भारत अनेकों भाषाएँ प्रचलित एक विशाल देश है। विभिन्न प्रांतीय भाषाओं के आधार पर राज्यों का विभाजन हुआ है। विभिन्न भाषा-भाषी एकसाथ मिलते समय हिंदी भाषा में विचार विनिमय करें तो यह एक अच्छी संपर्क भाषा बनेगी। एक हद तक वह चल रहा है। भारत के सभी नागरिक यह भाषा जानें, इस भाषा में विचार विनिमय करने की क्षमता प्राप्त करें। तभी यह एक अच्छी संपर्क भाषा का स्थान प्राप्त करेगी। लेकिन इसके लिए हमारे शासकों को भी इसके प्रचार में ज्यादा महत्व देना चाहिए और शनै-शनै अंग्रेज़ी का बोलबाल कम कर देना चाहिए। लेकिन भूगोलीकरण, भूमंडीकरण, उदारीकरण आदि के इस ज़माने में अन्य देशों के लोग बड़ी संख्या में यहाँ आ धमकते हैं और वे हमारी भाषा सीखने के बदले में हम उनकी भाषा सीख रहे हैं। इसमें एक हद तक हम चीन के लोगों का अनुकरण कर सकते हैं। क्योंकि ओलिंपिक खेल चलाते समय भी वे विदेशी भाषाओं में नहीं, अपनी ही भाषा में कार्य चला रहे थे। अन्य भाषाओं को स्वीकार करने के बदले में अपनी भाषा सिखाने के लिए व्यवस्था कर रहे थे। जो भी हो, यह भाषा भारत में सबसे अधिक लोगों की भाषा है। उत्तर भारत के ज़्यादातर लोग उनकी मातृभाषा और कुछ होने पर भी हिंदी जानते हैं, हिंदी में काम चला सकते हैं। गाँधीजी भी इस भाषा के प्रचार के लिए कार्यरत थे। भारत के बाहर भी अनेकों विश्वविद्यालयों में यह भाषा पाठ्यविषय है। आजकल ऐसा बताया जा रहा है कि हिंदी अंग्रेज़ी को पीछे छोड़कर विश्व की सबसे बड़ी दूसरी भाषा बनी है। धन्यवाद। जय हिंद। जय हिंदी।
रवि. एम., सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल, कडन्नप्पल्लि, कण्णूर।

3 comments:

  1. रविजी
    केरल हिंदी अध्यापक ब्लोग जगत में आप का सुस्वागत।।कृपया कमेंट के वेड़ वेरिफिकेशन सेट्टिग्स हटाएँ।।

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  2. हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं अब्दुल रज़ाक हार्दिक स्वागत करता हूँ. आपका ब्लोग देखकर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे

    पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
    आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
    इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
    उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
    आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो

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  3. हिन्दी बांग्ला गुजराती बोडो, डोगरी  मणि मराठी।
    कोंकणी असमिया नेपाली उर्दू, सिंधी संथाली आती॥
    तमिल तेलगू कन्नड़ मलयालम,संस्कृत पंजाबी उड़िया।
    कश्मीरी मैथिली छोड़ चुके, अब पढ़ती मेरी गुड़िया॥

    संविधान द्वारा मान्यताप्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाएँ

    From book " Bhoolana Bhool jaaoge"

    Source: http://books.google.co.in/books?id=raRVq78byAUC

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